मौलाना रियाज़ मजाहिरी के वालिद हाजी मुंशी अब्दुल गफूर के इंतकाल से इलाके में गम

 


सहारनपुर। जामिया अनवारूल कुरआन नियामतपुर के नाजिम हाजी मुंशी अब्दुल गफूर साहब के इंतकाल से पूरे इलाके में गम की लहर है।

8 मार्च को दुनिया ए फानी से रुखसत हुए मरहूम हाजी मुंशी अब्दुल गफूर साहब 92 साल के थे जो लगातार 70 सालों तक मदरसा अनवारूल कुरआन के नाजिम रहे। दीनी मुआमलात के क्षेत्र में आप की काबिलियत का लोहा माना जाता रहा है तमाम बड़े बुजुर्ग और आलिम ए दीन आपको काफी इज़्ज़त देते रहे हैं।


1935 में मुजफफराबाद के मोहल्ले मुजफ़्फ़री में जन्मे हाजी मुंशी अब्दुल गफूर को उर्दू में महारत हासिल थी आपने कई किताबों का उर्दू अनुवाद किया और अपनी कलम से भी उर्दू की खासी खिदमत अंजाम दी जिसके चलते आपको 1962 में स्टेट सरकार ने मोआत्मद मुदर्रिस के खिताब से भी नवाजा।

रूहानी मामले में आप मुफ्ती मुकर्रम हुसैन साहब संसारपुरी के खलीफा रहे आपके पीछे आपकी तीन बेटियां और तीन बेटे हैं जिनमें हज़रत मौलाना रियाज़ अहमद मजाहिरी रायपुर के दारुल हिदायत रहिमिया मदरसे में उस्ताद ए हदीस हैं जिन्हें शेखुल हदीस भी कहा जाता है।

हाजी मुंशी अब्दुल गफूर साहब की नमाज़ ए जनाजा मुफ्ती मुकर्रम हुसैन साहब ने अदा कराई जिसके बाद उन्हें उनके गांव में लाया गया वहां भी जनाजे की नमाज़ अदा करने के बाद आपको आबा ए कब्रिस्तान में दफ्न कर दिया गया।

आपके आखरी सफर में दारुल उलूम देवबंद से कारी जमशेद, कारी शफीक, मजाहिर उलूम सहारनपुर से नाजिम मदरसा मौलाना मोहम्मद सईदी, रेढ़ी ताजपुरा से नाजिम मौलाना अख्तर, बुड़िया से मौलाना अब्दुल सत्तार, पीर जी हाफ़िज़ हुसैन बुडिया, मुंशी अतीकुर रहमान नाजिम रायपुर खानकाह, मौलाना सलमान गंगोह, हाफ़िज़ जमील नानका, पीपली मजरा से मौलाना इलियास, मुफ्ती मसूद अज़ीज़, कारी याकूब गंगोह, जमीयत सेक्रेट्री हाफ़िज़ फुरकान असादी, हिमाचल, हरियाणा और पंजाब के जमीयत उलेमा हिंद के ज़िम्मेदार मौलाना अली हसन मज़हीरी, कारी अल्ताफ बिजनौर, मौलाना फहीम बिजनौर, मौलाना रईस जम्मू, सांसद हाजी फजलुर्रहमान, पूर्व एमएलसी उमर अली खान, बसपा बेहट विधानसभा प्रभारी रईस मलिक, सहारनपुर के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. रिज़वान मो. ताहिर रायपुर, डॉ. सईद उर रहमान रायपुर समेत क्षेत्र की गणमान्य हस्तियां मौजूद रही सभी ने नम आंखों से उन्हें खिराज़ ए अकीदत पेश की।