सहारनपुर। कोतवाली देहात सहारनपुर के प्रभारी निरक्षक उमेश रोरिया का व्यवहार ऐसा है कि उनसे मिलने वाला व्यक्ति उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता और उनकी कार्यशैली एवं उपलब्धियों को सुनने के बाद निश्चित ही वह आपको सुपर कॉप की परिकल्पना के वास्तविक प्रतिबिंब के रूप में दिखाई देंगे।
मूल रूप से अलीगढ़ निवासी उमेश रोरिया के पिता श्री एस एस रोरिया उत्तर प्रदेश पुलिस में बतौर डीएसपी अपनी सेवाएं देते हुए रिटायर हुए जिसके चलते यह अंदाज़ा सहज ही लगाया जा सकता कि खाकी से पारिवारिक नजदीकी होने के चलते पुलिसिंग की समझ इन्हे खूब है। वहीं बड़े भाई श्री अजीत रोरिया भी उत्तर प्रदेश पुलिस में सीनियर इंस्पेक्टर हैं जो जल्द ही प्रोमोट होकर डीएसपी हो जाएंगे मतलब परिवार में पुलिस नियम कायदे कानून और उलझनों के लिए मशवरा और तजुर्बा दोनों मौजूद हैं। ज़ाहिर है इतना सब होने के बाद किसी तेज़ तर्रार पुलिसकर्मी का हमेशा ऊर्जा से ओतप्रोत रहना स्वाभाविक भी है।
बताते चले कि उमेश रोरिया उन 24 भारतीय इंस्पेक्टर में प्रथम हैं जिन्हें विदेश में स्पेशल एवं एडवांस ट्रेंनिग के लिए चयनित किया गया था 2016 में बीआरसीएनडी के लिए हुई परीक्षा में वह प्रथम आए थे और उत्तर प्रदेश पुलिस से अकेले इंस्पेक्टर थे यह वास्तव में गर्व करने के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
नवंबर 2020 में विदेश से डीएसआई की ट्रेनिंग करने वाले उमेश रोरिया आधुनिक तकनीक के माहिर हैं जिसका लाभ निश्चित ही पूरे जनपद सहारनपुर को होना तय है क्योंकि उत्तर प्रदेश पुलिस के तेज़ तर्रार एवं व्यवहार कुशल निरीक्षक उमेश रोरिया अब सहारनपुर में अपनी सेवाएं दे रहे हैं जो वर्तमान में विशाल क्षेत्रफल एवं आबादी वाली कोतवाली देहात के एसएचओ हैं।
एनकाउंटर स्पेशलिस्ट निरक्षक नागरिक पुलिस उमेश रोरिया को हम बार बार तेज़ तर्रार यूं ही नहीं लिख रहे बल्कि उनकी कार्यशैली ही ऐसी है कि उनके लिए यह लकब भी बहुत छोटा है।
सन 2001 में मात्र 22 वर्ष की आयु में उत्तर प्रदेश पुलिस में बतौर सब इंस्पेक्टर अपनी सेवाएं शुरू करने वाले उमेश रोरिया की पोस्टिंग नोएडा और गाजियाबाद जैसे वीआईपी एवं इंडस्ट्रीज एरिया में रही है वहीं बागपत और खासतौर पर शामली का कैराना जो अत्यधिक संवेदनशील माना जाता है वहां भी आपकी सेवाएं सराहनीय रही हैं। 50 से ज़्यादा एनकाउंटर करने वाले उमेश रोरिया को अपराध के साथ साथ पब्लिक मैनेजमेंट में भी ज़बरदस्त पकड़ हासिल है। गत 2017 के विधानसभा से पहले जबकि कैराना में पलायन का राजनीतिक मुद्दा खूब गर्मी पर था तब उन्हें यहां तैनाती मिली जिसपर उच्चाधिकारियों की आशा के अनुरूप एनकाउंटर स्पेशलिस्ट ने बेहतरीन सिविल पुलिसिंग एवं सोशल मैनेजमेंट के जरिए 2017 का विधानसभा चुनाव सकुशल एवं शांतिपूर्ण संपन्न कराने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
खासियत यह है कि उन्हें अपनी नौकरी के समयानुसार सबसे कम समय, मात्र चार साल की सेवाओं में एसओ की ज़िम्मेदारी सौंप दी गई थी यह सब उनकी कर्तव्य निष्ठा और बेहतरीन कार्यशैली का नतीजा था। इसके अलावा उमेश रोरिया अपनी तैनाती वाले हर जनपद के एसओजी इंचार्ज भी रह चुके हैं तो ज़ाहिर है यह भी उनकी काबलियत का ही नतीजा रहा है कि उन्हें एसओजी जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी हर जनपद में सौंपी जा चुकी है।
नाभा जेल ब्रेक कर आतंकियों को भगाने वाला मास्टरमाइंड पलविंदर उर्फ पिंदा को धर दबोचने का श्रेय भी तत्कालीन कैराना प्रभारी निरीक्षक उमेश रोरिया को ही जाता है मात्र अपने हमराही दो सिपाहियों के साथ जब इंस्पेक्टर कैराना गश्त पर थे तभी अचानक वायरलेस सेट पर मेसेज फ्लेश हुआ जिसमें नाभा जेल ब्रेक के बाद आतंकियों के फॉर्च्यूनर गाड़ी से भागने की सूचना जारी हुई जिसके कुछ ही देर बाद बताए गए नंबर की गाड़ी उसी रास्ते पर आती दिखाई देने पर इंस्पेक्टर उमेश रोरिया ने अपनी जीप गाड़ी के आगे लगा दी। खुद को घिरा देख आतंकी गाड़ी से उतरकर भागने लगा जिसे दबोच लिया गया। गाड़ी से भारी मात्रा में आधा दर्जन घातक हथियार बरामद हुए थे। इस उपलब्धि पर निरीक्षक उमेश रोरिया को बहादुरी सम्मान से भी नवाजा गया। ऐसा कारनामा निश्चित ही एक पुलिस अधिकारी के कार्यकाल में बड़ी उपलब्धि के तौर पर दर्ज किया जाता है।
शामली से सहारनपुर आए उमेश रोरिया पहले कस्बा रामपुर मनिहारान में कोतवाल के तौर पर नियुक्त किए गए अब उन्हें देहात कोतवाली का प्रभारी निरीक्षक बनाया गया है।
सहारनपुर में अपनी पहली ही पोस्टिंग रामपुर मनिहारान में एक बुज़ुर्ग दंपत्ति का मर्डर हो गया जिसका तेज़ तर्रार और अपराधियों की मानसिकता पर महारत रखने वाले प्रभारी निरीक्षक उमेश रोरिया द्वारा मात्र 24 घंटों में खुलासा कर बता दिया था कि उनके क्षेत्र में अपराधी का बच निकालना नामुमकिन है।
ऐसे ही कोतवाली देहात क्षेत्र में अब केवल दो माह के भीतर ही पुलिसिंग का अलग नज़ारा देखने को मिल रहा है विशेषतः समाज में अपराध को जन्म देने वाले नशे के विरुद्ध बेहद सख्ती बरती जा रही है जिसके चलते मात्र 2 माह में डेढ़ दर्जन एनडीपीएस मुकदमे दर्ज कर अभियुक्तों को जेल भेजा गया। हर मुख्य स्थान पर अब पुलिस की मौजूदगी आम आदमी के भीतर यह विश्वास पैदा कर रही है कि पुलिस उनके आस पास है इसलिए असामाजिक तत्वों और बदमाशों से घबराने की ज़रूरत नहीं है। प्रभारी निरीक्षक द्वारा जहां एक ओर पुलिस की ड्यूटी क्षेत्र की प्रत्येक आबादी और खास स्थानों पर लगाई गई है वहीं दूसरी ओर रात्रि गश्त का भी स्वरूप पहले से बदला हुआ है अब क्षेत्र में लगातार पुलिस के दोपहिया और चौपहिया वाहन रातभर जागकर गश्त लगाते हैं ताकि जनता आराम से बेखौफ होकर सो सके।
क्षेत्र की जनता में पुलिस के प्रति विश्वास कायम करने में प्रभारी निरीक्षक उमेश रोरिया की भूमिका मुक्तकंठ प्रशंसा की पात्र है।