एक समाचार पत्र विक्रेता का दर्द उसकी कलम से

सहारनपुर समाचार पत्र की मुख्य कडी कहे जाने वाले समाचार पत्र विक्रेता आज बेहद नाजुक दौर से गुजर रहा है !


उसे अपना परिवार चलाने के लिए कितने पापड बेलने पड रहे हैं यह आप सोच भी नही सकते कि वह सुबह 4 बजे उठता है ! और निकल जता हे समाचर पत्र वितरण करने के लिए अपने और अपने परिवार की चिंता किये बगेर परिवार में भले ही कोई कितना भी बीमार क्यों न हो या घर में ब्याह शादी क्यों न हो या वह खुद बीमार क्यों न हो सर्दी बरसात गर्मी आन्धी तूफान क्यों न हो वह अपनी सारी खुशी गम मजबुरी ग्राहक व कंपनी व कंपनी के एजंट के नाम पर कुर्बान कर देता है ! लाक डाऊन कोविड 19 महामारी में भी समाचार पत्र विक्रेताओ ने अपनी डयुटी को पूरी तरह से अंजाम दिया अधीकतर ग्राहक ने इसका सिला पेमेंट रोक कर दिया तो कंपनी के एजंट ने जो उधार दिया उसका तगादा कर उसका सिला दे रहे हैं जिसके चलते कई समाचार पत्र विक्रेता काम छोडने की कगार पर पहुँच गये हैं !


समाचार पत्र के मुख्य अधिकारी यदि साल में कभी एक आद बार आ भी जाते हैं तो वह सिर्फ अखबार क्यों घट रहा है! इस पर चर्चा करते हैं ऊन्हे समाचार पत्र विक्रेता की कोई फिक्र नही रहती और न ही इस पर वह कोई चर्चा करना चाहते हैं !


समाचार पत्र विक्रेता के लिए कंपनी व कंपनी एजंट के पास न तो कोई टी शर्ट है न कोई बरसाती है न कोई जर्सी या जेक्ट है न किसी त्योहार पर कोई गिफट है ! 


पुरे लाक डाऊन में एक बार व्यापार मंडल द्वारा मिली किट का वितरण करा करा कर कंपनी वालों ने अपनी पीठ थपथ्पाई क्या समाचार पत्र विक्रेता करोना योधा के स्ममान का अधिकार नही रखता किसी कंपनी या समाज सेवी संस्था ने भी इन सब्रदार लोगों के तरफ हाथ नही बढ़ाया 


             अली अहमद