सहारनपुर। ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव/न्यायिक अधिकारी (वरिष्ठ) श्रीमती सुमिता ने कारागार में निरूद्ध बन्दियों को उनके मौलिक कर्तव्यों एवं अधिकारों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताय कि गिरफ्तारी के समय सम्बन्धितजनो को सूचित करने का अधिकार, निशुल्क विधिक सहायता का अधिकार, स्वास्थ्य पोषण का अधिकार त्वरित विचारण का अधिकार है। उन्होंनेऐसे बन्दियों की सूची उपलब्ध कराने का निर्देश दिया जिन बन्दियों की जमानत सक्षम न्यायालय से स्वीकृत हो चुकी है लेकिन बन्दियों के पास जमानतदार न होने के कारण व जेल में बंद है।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष/जनपद न्यायाधीश सर्वेश कुमार के मार्गदर्शन में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा जारी एक्शन प्लान के अनुपालन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव/न्यायिक अधिकारी (वरिष्ठ) श्रीमती सुमिता आज यहां उप कारागार देवबन्द में वर्चुयल विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन में बंदियों से वार्ता के दौरान यह बात कही। उन्होंने जेल प्रशासन निर्देश दि कि बन्दियों के मानसिक स्वास्थ्य के लिये उन्हे योगा-व्यायाम कराए। उन्होंने इस सम्बन्ध में जेल प्रशासन को निर्देश दिये कि बन्दियों को मानसिक स्वास्थ्य के लिये प्रेरणास्पद बाते बताये साथ ही जीविकोपार्जन हेतु उन्हे तकनीकि/व्यावसायिक प्रशिक्षण दे ताकि वे कारागार से बाहर आने पर स्वय को जिम्मेदार नागरिक बन सके।
श्रीमती सुमिता ने बताया कि यदि किसी बन्दी के पास अधिवक्ता नही है तो वह उसका प्रार्थना पत्र जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यालय में जिला कारागार सहारनपुर की सहायता से भिजवाये उन्हे तत्काल ही निशुल्क अधिवक्ता उपलब्ध करा दिया जायेगा।