दिनेश कुमार पी: लाजवाब कप्तान जो है खुद एक मिसाल


👉🏼कितना तेज़ दौड़े मायने नहीं रखता, कितनी लंबी दूरी तय की यह मायने रखता है: आईपीएस दिनेश कुमार पी
.......✍🏼 रविश अहमद
कप्तान एक टीम का होता है, जिसका काम टीम से बेहतरीन परफॉर्मेंस लेना होता है जो टीम से उनकी कार्यक्षमता के अनुरूप सही कार्य करा ले वह सफल कप्तान कहलाता है लेकिन जो टीम का केवल कप्तान न होकर टीम के प्रत्येक छोटे बड़े सदस्य के अभिभावक के रूप में विकट परिस्थितियों में क्षमता से अधिक और सटीक परिणाम हासिल करने वाले सफलतम कप्तान कहलाते हैं। ऐसे ही एक पुलिस कप्तान के विषय में आइए जानते हैं। 
अपने अधीनस्थों से बतौर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सख्ती से कानून और व्यवस्था की अकाट्य कड़ी बनाए रखना बल्कि निरंतर उनका हौंसला भी बनाए रख हर हाल में सकारात्मक परिणाम हासिल करना इस आईपीएस की पहचान बन चुकी है।



चर्चा का विषय आईपीएस दिनेश कुमार प्रभु हैं जो सहारनपुर में करीब डेढ़ वर्ष से तैनात हैं। 2009 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी दिनेश कुमार पी को जनता पुलिस कप्तान नहीं बल्कि अपने खुद के कप्तान के रूप में पहचानती है।
आईपीएस दिनेश कुमार पी के विषय में सराहना अथवा आलोचना के लिए उनकी कार्यशैली को परखना ज़रूरी है, आइए जानते हैं कब कब वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार पी ने अपना धर्म निभाया है।
सहारनपुर में आईपीएस दिनेश कुमार पी की तैनाती के समय से ही सहारनपुर किसी ना किसी वजह से ऐसी परिस्थितियों में घिरा रहा है जब जनपद को संभालना बेहद गंभीर मुद्दा रहा है मिसाल के तौर पर लोकसभा चुनावों को सकुशल संपन्न कराना और कभी धर्म तो कभी आस्था के नाम पर एकत्र हुई भीड़ को उग्र होने से रोककर स्थिति को पूरी तरह अपने नियंत्रण में रखना हो, चाहे सहारनपुर में कांवड़ यात्रा का अभूतपूर्व सफलतम आवागमन रहा हो अथवा देश में सर्वाधिक संवेदनशील मसला बाबरी मस्जिद फैसले की घड़ी पर धार्मिक भावनाओं को नियंत्रित रखने का सफल परिणाम हो खासतौर पर उस वक्त के पुलिस जनता प्रबंधन को इतिहास हमेशा याद रखेगा जब सीएए और एनआरसी के विरोध में पूरा देश लगभग जलने की स्थिति में पहुंच गया था और देश के कई शहरों सहित उत्तर प्रदेश के कई जिलों में उग्र विरोध प्रदर्शन हुए। यहां तक कि प्रदेश की राजधानी तक में प्रदर्शनकारी और शासन प्रशासन आमने सामने आया और स्थिति बेकाबू हो गई थी ऐसे में सहारनपुर में भी जब अल्पसंख्यक समुदाय के प्रदर्शनकारियों का हुजूम किसी समन्दर की तरह नज़र आ रहा था और ज़रा सी चूक शायद सहारनपुर को अन्य जगह हुए उग्र प्रदर्शनों की अपेक्षा ज़्यादा नुकसान पहुंचा सकती थी लेकिन कुशल नेतृत्व और अकाट्य प्रबंधन के माहिर आईपीएस दिनेश कुमार प्रभु प्रदर्शनकारियों के सैलाब को नरमी के साथ समझाकर शांत करने में सफल रहे। जिसकी सराहना न केवल सहारनपुर जनपद की जनता ने की बल्कि उत्तर प्रदेश शासन से भी इसकी प्रशंसा की गई।
इसके बाद वर्तमान के महामारी के इस दौर की बात करें तो वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार पी के सधे हुए नियंत्रण में सहारनपुर पुलिस अभूतपूर्व योगदान दे रही है। ऐसा नहीं है कि पुलिस पहली बार सराहनीय कार्य कर रही है लेकिन यह भी वास्तविकता है कि अपने कप्तान के दिशा निर्देशन में सहारनपुर पुलिस के मानवीय पहलू जनता के सामने पहली बार सामने आए हैं। इस संकट के दौर में सहारनपुर पुलिस के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से लेकर राजपत्रित अधिकारियों तक प्रत्येक पुलिसकर्मी जनता के लिए ढाल बनकर खड़ा हुआ नज़र आ रहा है, जहां एक ओर सरकार के आदेशों के क्रम में पुलिस लॉक डाउन का अनुपालन करा रही है वहीं अपने कप्तान दिनेश कुमार पी के आह्वान पर भूखे को खाना और बीमार को दवा भी खुद के स्तर से उपलब्ध करा रही है वहीं पूरी निष्पक्षता के साथ सामाजिक एवं धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले लोगों पर काबू पाकर स्पष्ट संदेश देने में भी सहारनपुर के कप्तान कामयाब रहे हैं कि विपदा से लड़ना है, मिलजुलकर लड़ना है और विद्वेष फैलाने वाले चाहे किसी भी धर्म वर्ग अथवा समुदाय का हो बख्शा नहीं जाएगा।



सहारनपुर की जनता दिनेश कुमार पी के परिवार को जानती नहीं है कौन है कहां है कैसे हैं लेकिन एक बात अब जान भी चुकी है और मान भी चुकी है कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार पी सहारनपुर की पुलिस के साथ साथ यहां की जनता के भी संरक्षक बन चुके हैं।
अपने जनपद की जनता की सुरक्षा के लिए आईपीएस दिनेश कुमार पी कितने सजग हैं इसका अंदाज़ा इतने भर से लगाया जा सकता है कि कहीं कोई चूक न हो जाए इसके लिए वो रात रात भर जागकर अपने अधीनस्थों को न केवल दिशा निर्देश जारी करते रहते हैं बल्कि उनका उत्साहवर्धन भी करते हैं पिछले दिनों एक ऑडियो सुनने को मिली जिसमें रात 3 बजे पुलिस कप्तान दिनेश कुमार पी रात्रि ड्यूटी पर डटे अपने योद्धाओं को अंग्रेज़ी लेखक चार्ल्स डार्विन की किताब ऑन द ओरिजिन ऑफ स्पीसीज का उदाहरण देकर बताते हैं कि विपरीत परिस्थितियों में जो सबसे  मज़बूत माना जाने वाला होता है वो टूट जाता है लेकिन जो समयानुसार खुद को परिस्थितियों में ढाल लेता है वो कामयाब हो जाता है। उन्होंने पूरी टीम का हौंसला बढ़ाते हुए कहा कि सबसे छोटी कड़ी जितनी मज़बूत है हम भी उतने ही मज़बूत होते हैं इसलिए टीम को मजबूत रखना है और खुद को परिस्थितियों के अनरूप ढालकर कार्य करना है। कप्तान दिनेश कुमार पी ने अपनी टीम का आह्वान किया कि यह मायने नहीं रखता कि आप कितना तेज़ दौड़ते हैं बल्कि मायने ये रखता है कि आप कितनी लंबी दूरी तक दौड़ते हैं।
अब ज़ाहिर है कि जब टीम का कप्तान इतना ज़्यादा मज़बूत इरादे रखता हो तो निश्चित ही टीम का हौंसला आसमान की बुलंदियों पर होता है और ऐसे में अपेक्षा से भी बेहतर नतीजे सामने आते हैं। सहारनपुर की जनता अपने कप्तान दिनेश कुमार पी जैसे संरक्षक को पाकर खुद को गौरांवित महसूस करती है। ऐसे ही कार्यकुशल और असाधारण क्षमता वाले पुलिस कप्तान अपने आप में अभूतपूर्व एवं सर्वोत्तम कहलाते हैं।