रविश अहमद
देश की गरीब जनता इस समय दोहरी मार झेलने को मजबूर हो गई है घर से बाहर बीमारी का खतरा तो घर के अंदर भूख का कहर। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए अन्य देशों की तरह भारत में भी लॉक डाउन किया गया है लेकिन यहां की अधिकांश आम जनता आर्थिक रूप से कमजोर होने के चलते दोहरी त्रासदी से घिर चुकी है ऐसे में कुछ लोग हैं जो कोशिश में लगे हुए हैं कि कोई भूखा न रहे।
ऐसे वक्त में कि जब पूरी दुनिया अपने घरों में सिमट कर रह गई है और हर कोई बाहर निकलने से कतरा रहा है तब कुछ ईश्वर/ अल्लाह के बंदे अपनी परवाह न करते हुए भी घरों से बाहर निकलकर गरीब एवं जरूरतमंद लोगों की मदद कर रहे हैं।
हालांकि सरकार की ओर से कोशिश की जा रही है कि हर आम इंसान तक राहत पहुंचे और इसके लिए सरकारी तौर पर भरकस प्रयास भी किए जा रहे हैं लेकिन चूंकि भारत एक विशाल जनसंख्या वाला देश है ऐसे में सीमित संसाधनों के चलते यह कार्य अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने में समस्या आ रही है।
तब निजी स्तर पर जनता की सेवा में जुटे हुए लोग ही गरीबों के लिए मददगार का किरदार अदा कर रहे हैं।
अगर मिसाल के तौर पर सहारनपुर की बात की जाए तो यहां सरकारी स्तर पर शहरी क्षेत्र में नगर निगम अन्य सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से प्रति दिन 15 से 20 हजार खाने के पैकेट बांट रही है वहीं अन्य संस्थाएं और शहर के बड़े नेता और कारोबारी भी अपने स्तर से राहत सामग्री बांट रहे हैं। किन्तु शहर के बाहरी छोर पर जहां अक्सर गरीब मजदूर लोगों की बस्तियां हैं वहां तक बहुत कोशिशों के बावजूद भी कमी रह जाती है, ऐसे ही ग्रामीण इलाकों तक पहुंच पाना भी सभी के लिए संभव नहीं है। ऐसे ही इलाकों में कुछ लोग मानवता की मिसाल बनकर गरीबों और जरूरतमंदों के लिए भूख की तलवार के सामने ढाल बनकर खड़े हुए हैं।
मोहल्ला छिपियान निवासी वरिष्ठ युवा समाजसेवी मुस्तकीम अंसारी अपने बड़े भाई व्यावसायी नईम अंसारी के साथ मिलकर ऐसे लोगों तक राशन सामग्री पहुंचा रहे हैं और कहते हैं कि देने वाला सिर्फ अल्लाह है हम तो सिर्फ जरिया है। मुस्तकीम अंसारी का कहना है कि इस वक्त इंसान ही इंसान के लिए सबसे बड़ी दवा है अगर कोई भूखा रहा तो फिर हम इंसानियत का फ़र्ज़ निभाने में कामयाब नही हो पाएंगे इसलिए सभी को अपनी अपनी हिम्मत और हैसियत के हिसाब से कोशिश करनी चाहिए।
उधर युवा व्यवसायी मोहित बंसल और उनके साथी रियाज़ अहमद दोनों लगातार खाना बनवाकर निजी स्तर से वितरण करा रहे हैं। उनका कहना है कि ये वक्त दिखावे या फिर किसी होड़ का नहीं है जिसमें हमारा किसी से मुकाबला है बल्कि यह वक्त समाज के प्रति आपकी ज़िम्मेदारी को निभाने का है।
दोनों युवा समाजसेवी जी जान से कोशिश में लगे हैं कि कोई गरीब आदमी कम से कम ख़ाली पेट तो न सोए, रियाज़ अहमद ने बताया कि वह निजी स्तर पर यह व्यवस्था कर रहे हैं।
ऐसे ही इस नेक काम में बेहट रोड रसूलपुर, रमजानपुरा के कुछ नौजवान भी बड़ी ज़िम्मेदारी निभाकर इंसानियत की खिदमत में लगे हुए हैं।
देश के अलग अलग शहरों में बड़े बड़े मुशायरों तक अपनी खुद की पहचान अपने हुनर के जरिए बनाने वाले शायर बिलाल सहारनपुरी भी अपने चंद साथियों को साथ लेकर कम्युनिटी किचन चलाकर गरीब जरूरतमंद लोगों तक खाना भिजवा रहे हैं। बिलाल सहारनपुरी का कहना है कि बेशक ये वक्त कुदरत वाले का अज़ाब है लेकिन यही वक्त भी वो है जब हमे अपने इंसानियत के इम्तिहान में पास होना है। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी ज़रूरत पेट की भूख होती है जिसके लिए लॉक डाउन चलने तक यह किचन लगातार चलाने का उनका इरादा है। उनके साथ मोहम्मद आसिफ, फरमान अली एडवोकेट और मीर अहमद उनके इस नेक काम में सहभागी बने हुए हैं।
उधर रमज़ान पूरा के ही कुछ युवक अपनी जेब से इकट्ठे होकर मोहम्मद परवेज़ के साथ मिलकर गरीब मजदूर लोगों तक राशन की किट पहुंचा रहे है। मोहम्मद परवेज़ ने कहा कि यह गरीब और जरूरतमंद लोगों का हमपर हक है और हक अदा करने का वक्त आया है इसलिए खिदमत करना हर बहैसियत पर फ़र्ज़ है।
इसके अलावा बहुत सारे ऐसे ही नेकदिल इंसान अपने अपने मोहल्लों में खुद के स्तर से इस आपदा के समय में मददगार बनकर सामने आ रहे हैं। जहां एक ओर सरकारी स्तर पर व बड़े बड़े नेताओं और कारोबारियों सहित बड़ी संस्थाएं जनता के लिए आगे आईं हैं तब निजी स्तर पर इन छोटी मदद करने वालों का जज़्बा सबके मुकाबले बड़ा दिखता है।