मदद करने की आदत आज बनी मोटवानी परिवार की दिनचर्या

 
 बरेली। कुछ लोगों में गरीब और जरूरतमंद लोगों की सेवा करना उनकी आदत में शुमार करता है। बरेली शहर में ऐसा ही एक परिवार महामारी के संकट के दौर में सेवा कार्य को दिनचर्या के रूप में कर मानवता की मिसाल पेश कर रहा है।
 देश विभाजन के बाद  पाकिस्तान वाले हिस्से से यहां आकर बसे तो न राशन था, न ही सोने के लिए बिस्तर।  इसके बाद आपातकाल में संघ कार्यकर्ताओं की परेशानी करीब से देखी। लक्ष्मण दास उनके लिए खाना बनाकर चोरी छिपे पहुंचाते थे। तब से आज का दिन है, मोटवानी परिवार ने जरूरतमंद की मदद को अपनी जिंदगी का हिस्सा बना लिया।



 सिंधुनगर में अपनी रसोई में खाना बना रहीं कविता बताती हैं कि जो अतिरिक्त खुराक बनाते थे, वह सामान्य दिनों में काम करने वालों को दे देते। इन दिनों लॉकडाउन में असहायों के बारे में पता चला तो ज्यादा खाना बनाने लगे कविता यही सीख अपनी बेटी पूजा व बेटे सौरभ को देती हैं बराबर वाले घर में रहने वाली तान्या मोटवानी और उनकी जेठानी बरखा मोटवानी भी रोजाना जरूरतमंदों के लिए खाना बना रही हैं।



 बरखा के पति जगदीश पैक खाना बांटने के लिए निकल पड़ते हैं। कभी- कभी किसी बस्ती में ज्यादा लोगों के लिए वितरित करना होता है, तब भी ये देवरानी-जेठानी ही खुद खाना बनाती हैं।
बरेली में ये परिवार जरुरतमंदो की मदद को अपनी जिंदगी का हिस्सा मानता है और सभी सार्थक लोगों को इनसे प्रेरणा लेने की आवश्यकता है।