बहुत गालियां दी जमातियों को अब उनके लिए तालियां बजाइये

.....✍️वरिष्ठ पत्रकार फैसल खान की कलम से



कोरोना की महामारी का हिन्दोस्तान में सबसे ज़्यादा भयानक असर महाराष्ट्र और गुजरात मे देखने को मिल रहा है,मगर हालात पर बारीकी से नज़र रखने वाले संगठनों के मुताबिक गुजरात अब महाराष्ट्र को पीछे छोड़कर नम्बर वन पर पहुंच चुका है,मीडिया में इस तरह की रिपोर्ट भी आई है कि गुजरात को महाराष्ट्र से पीछे रखने और नम्बर वन न होने देने के लिए वहां टेस्टिंग की तादाद बहुत कम कर दी गई है जिससे पॉज़िटिव मरीजों की संख्या ज्यादा नज़र न आये,अहमदाबाद के मेयर स्थिति की गंभीरता को समझ कर यहाँ तक कह चुके हैं कि अगर हालात कंट्रोल नही किये गए तो अहमदाबाद में 8 लाख तक कोरोना पेशेंट हो सकते हैं,फरवरी महीने में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी भारी भरकम टीम ने भारत का दौरा किया था और अहमदाबाद दिल्ली आगरा में ट्रम्प के स्वागत में बड़े शानदार प्रोग्राम आयोजित किये गए थे और कमाल की बात ये है कि इन तीनो ही जगहों पर कोरोना से हालात भयावह हैं,जिन जिन जगहों पर ट्रम्प और उनकी टीम ने कदम रखा वहीं पर कोरोना ने ज़्यादा तबाही मचाई,इसका मतलब ट्रम्प की टीम में कोरोना पॉज़िटिव लोग शामिल थे??
ट्रम्प के भारत दौरे के समय चीन और कई देशों में कोरोना का क़हर जारी था मगर उसके बावजूद उनका भारत का दौरा जारी रहा और उनकी टीम के सैंकड़ो लोग अहमदाबाद आगरा और दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था को आवाजाही करते रहे,हो सकता है उनकी टीम के कुछ लोग कोरोना संक्रमित रहे हो और तबाही के निशान सौगात में दे गए हों मगर इस बात को न तो भारतीय मीडिया कहेगी और न जमातियों को दोष देने वाले लोग कहने की हिम्मत रखते हैं,
बहरहाल अच्छी खबर ये है कि मरकज़ प्रमुख मौलाना साद की जमातियों से अपील के बाद सैंकड़ो जमाती प्लाज़्मा देने के लिए फार्म भर रहे हैं और अस्पतालों के बाहर सलीके से लाइन लगाकर खड़े हुवे हैं,जहां तक मैं समझता हूं हर एक वो जमाती जो कोरोना से संक्रमित हुवा है वो अपने टेस्ट नेगेटिव आते ही मौलाना साद की अपील के बाद अपना प्लाज़्मा ज़रूर डोनेट करेगा,जिन जमातियों को गद्दार,कोरोना बम,कोरोना जिहादी,देश के दुश्मन जैसे तमगे दिए जा रहे थे अब उन्ही जमातियों के खून और प्लाज़्मा से हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई की ज़िंदगी बचाई जा सकेगी,इन जमातियों का खून अब बिना किसी भेदभाव के हिंदुओं सिखों और सभी लोगों के बदन में दौड़ेगा,
नफ़रत के सौदागरों से तो सिर्फ नफ़रत की ही उम्मीद की जा सकती है मगर अब आप अपना दिल बड़ा करके इन जमातियों के लिए ताली ज़रूर बजाइये।


 


डिस्क्लेमर: उक्त विचार लेखक के अपने है।